Maa Skandamata Aarti: नवरात्रि के पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की आरती

नवरात्रि के उत्सव में हम दिव्य ऊर्जाओं के करीब आ रहे हैं, हर दिन हमें दिव्य शक्तियों के आसपास बलबलता है। नवरात्रि के पांचवें दिन पर हम मां स्कंदमाता का आदर करते हैं, जो भगवान कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद या मुरुगन भी कहा जाता है, की दिव्य मां और पालने की देवी के रूप में जानी जाती है। मां स्कंदमाता को मातृत्व, सुरक्षा और पोषण की देवी के रूप में समर्पित किया जाता है। कहा जाता है कि स्कंदमाता भक्तों की समस्त कामनाओं को पूरा करती हैं। स्कंदमाता का स्वरूप मन को मोह लेने वाला है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिससे वो दो हाथों में कमल का फूल थामे दिखती हैं। एक हाथ में स्कंदजी बालरूप में बैठे हैं। दूसरे से माता तीर को संभाले हैं। मां दुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियां आती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा और आरती करना लाभकारी माना गया है। स्कंदमाता की पूजा से भक्त को मोक्ष मिलता है

स्कंदमाता की आरती 🙏

जय तेरी हो स्कंद माता।
🌟 पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सबके मन की जानन हारी।
🌺 जग जननी सबकी महतारी॥

तेरी जोत जलाता रहू मैं।
🕯️ हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥

कई नामों से तुझे पुकारा।
🙌 मुझे एक है तेरा सहारा॥

कही पहाड़ो पर है डेरा।
🏞️ कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मंदिर में तेरे नजारे।
🌼 गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
💪 शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इंद्र आदि देवता मिल सारे।
🙏 करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
⚔️ तू ही खंडा हाथ उठाए॥

दासों को सदा बचाने आयी।
🌈 भक्त की आस पूजाने आयी॥

स्कंदमाता का मंत्र 🌼

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
🙏 नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
🌸 शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

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