हिंदू धर्म में कलावा क्यों बांधा जाता है? जानिए इसका आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

कलावा केवल एक धागा नहीं बल्कि आस्था, सुरक्षा और ऊर्जा का प्रतीक है। जानें क्यों बांधा जाता है कलावा और क्या है इसके पीछे की मान्यताएं।
कलावा केवल एक धागा नहीं, एक आस्था है
आपने कई बार देखा होगा कि मंदिरों में पूजा-पाठ के दौरान या पंडित जी की पूजा विधि के समय हाथ में लाल-पीले रंग का धागा, जिसे हम कलावा, मौली या रक्षा सूत्र कहते हैं, बांधा जाता है। यह सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरे आध्यात्मिक, धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं।
आज हम जानेंगे कि हिंदू धर्म में कलावा क्यों बांधा जाता है, इसके पीछे छुपा विज्ञान, परंपरा, और इसका जीवन में क्या महत्व है।
कलावा क्या होता है?
कलावा (या मौली) एक खास तरह का सूती धागा होता है, जो सामान्यतः लाल, पीला और कभी-कभी हरा रंग का होता है। यह धागा दाहिने हाथ में (पुरुषों के लिए) और बाएं हाथ में (महिलाओं के लिए) बांधा जाता है।
रक्षा सूत्र या कलावा बांधने के धार्मिक कारण
- शुभता और सुरक्षा का प्रतीक:
कलावा को बांधना नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। इसे ईश्वर की कृपा का कवच कहा जाता है। - वेदों में उल्लेख:
रक्षा सूत्र का उल्लेख वामन पुराण और स्कंद पुराण में भी मिलता है। यह धागा एक प्रकार का व्रत या संकल्प दर्शाता है जिसे पूजा के दौरान लिया जाता है। - राखी का प्रारूप:
रक्षाबंधन पर्व पर जो राखी बांधी जाती है, वह भी एक प्रकार की मौली ही होती है। यह रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रूप है।
कलावा बांधने के वैज्ञानिक कारण
- नाड़ी बिंदु पर दबाव:
कलावा बांधने की जगह हमारे शरीर का एक खास नाड़ी बिंदु है। इसे बांधने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है और हाथों में उर्जा का संचार बना रहता है। - एक्यूप्रेशर थ्योरी:
आयुर्वेद और एक्यूप्रेशर के अनुसार, जहां कलावा बांधा जाता है वह जगह शरीर की कई नसों को जोड़ती है। वहां दबाव बनाने से पाचन क्रिया और मानसिक संतुलन बेहतर होता है। - रंगों का महत्व:
- लाल रंग ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।
- पीला रंग बुद्धि और शुद्धता दर्शाता है।
- हरा रंग संतुलन और सुख-शांति का प्रतीक है।
कलावा बांधने की सही विधि क्या है?
- पूजा के समय पंडित जी मंत्रों के साथ कलावा बांधते हैं।
- पुरुषों के लिए दाहिने हाथ और महिलाओं के लिए बाएं हाथ में बांधा जाता है।
- इसे बांधते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “रक्षासूत्र मंत्र” का जाप किया जा सकता है।
रक्षा सूत्र का क्या महत्व है?
रक्षा सूत्र को केवल पूजा का हिस्सा न मानें, बल्कि यह:
- आत्मविश्वास और सुरक्षा का एहसास दिलाता है।
- परिवार और कुल परंपराओं से जुड़ने का माध्यम बनता है।
- धार्मिक आस्था को मजबूत करता है।
क्या कलावा हमेशा बांधे रहना चाहिए?
नहीं, इसे बहुत लंबे समय तक पहनने की आवश्यकता नहीं है। पूजा के बाद इसे एक सप्ताह या कुछ दिनों तक बांधना पर्याप्त होता है। यदि धागा खुद से टूट जाए, तो इसे सम्मानपूर्वक किसी पवित्र स्थान जैसे तुलसी के पौधे में रख देना चाहिए।
आस्था और विज्ञान का संगम है कलावा
कलावा केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था, वैज्ञानिक कारणों और मानसिक संतुलन का सुंदर मेल है। इसे बांधकर हम अपने पूर्वजों की परंपराओं से जुड़ते हैं और ईश्वर की कृपा का अनुभव करते हैं। इसलिए अगली बार जब आप मंदिर जाएं या कोई पूजा हो, तो कलावा को सम्मानपूर्वक बांधें — यह छोटा सा धागा आपके जीवन में शुभता लाने वाला है।
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