भारतीय संगीत जगत में ग़ज़ल के सम्राट के रूप में प्रतिष्ठित, पंकज उधास जी का 26 फरवरी 2024 को निधन हो गया। उनकी बेटी नयाब उधास ने इस दुखद समाचार को अपने इंस्टाग्राम हैंडल के माध्यम से साझा किया। लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया, जिससे संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
पंकज उधास जी ने ‘चिट्ठी आई है’, ‘ना कजरे की धार’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’, ‘आहिस्ता’ और ‘चुपके चुपके सखियों से’ जैसे अमर गीतों के माध्यम से लाखों दिलों को छूआ। उनकी ग़ज़लें न केवल भारत में, बल्कि समूचे विश्व में लोकप्रिय हुईं। उनकी आवाज़ में एक विशेष कशिश थी, जो श्रोताओं को अपनी ओर खींचती थी।
पंकज उधास जी का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था। संगीत के प्रति उनका जुनून उन्हें उनके पारिवारिक परंपरा से मिला था। उन्होंने अपने संगीतिक करियर की शुरुआत बहुत ही कम उम्र में की थी और अपनी ग़ज़लों के माध्यम से संगीत की दुनिया में एक अमिट छाप छोड़ी।
पंकज उधास जी का संगीत सफर केवल ग़ज़लों तक सीमित नहीं था। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग की और अपने गीतों के माध्यम से फिल्मों को एक नई पहचान दी। उनकी आवाज़ ने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया और उन्हें ग़ज़ल गायन की एक अलग पहचान दी।
उनके निधन के साथ, संगीत जगत ने अपना एक महान कलाकार खो दिया है, लेकिन उनका संगीत हमेशा हमारे बीच जीवित रहेगा। पंकज उधास जी की ग़ज़लें और उनकी मधुर आवाज़ संगीतप्रेमियों के दिलों में सदा के लिए अमर रहेगी। उनके योगदान को भारतीय संगीत इतिहास में हमेशा सराहा जाएगा।
उनके प्रशंसक और संगीत जगत उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए, उनके योगदान को याद कर रहे हैं। पंकज उधास जी का जाना न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी विरासत हमेशा उनके गीतों के माध्यम से जीवित रहेगी।
उनके निधन पर हम उन्हें गहरी श्रद्धांजलि देते हैं और उनके परिवार को इस कठिन समय में सांत्वना देते हैं। पंकज उधास जी, आपकी आवाज़ हमेशा हमारे दिलों में गूँजती रहेगी।
जानिए पंकज उधास के संगीत सफर और उनके प्राप्त पुरस्कारों के बारे में