नवरात्रि 2025: आइए मनाएं पर्यावरण के साथ अपनी परंपराएं

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नवरात्रि 2025 को बनाएं खास—परंपरा और पर्यावरण दोनों का ख्याल रखते हुए। जानिए कैसे बना सकते हैं इस त्यौहार को और भी खूबसूरत।

परिचय: नवरात्रि की रौनक और हमारी जिम्मेदारी

नवरात्रि, देवी माँ के नौ रूपों की भक्ति और शक्ति का उत्सव है। नौ रातें, नौ रंग, गरबा की धुन और पारंपरिक पकवान—हर चीज़ में होता है एक अलग ही जोश। लेकिन जैसे-जैसे हम इस पर्व को बड़े स्तर पर मनाने लगे हैं, वैसे-वैसे पर्यावरण पर इसका असर भी दिखने लगा है।

क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम मस्ती भी करें और धरती माँ का भी ध्यान रखें? चलिए इस नवरात्रि 2025 को बनाते हैं थोड़ा सा हराभरा, थोड़ा सा ज़िम्मेदार

नवरात्रि 2025 को पर्यावरण के साथ मनाने के सुंदर तरीके

1. सस्टेनेबल कपड़े पहनें – फैशन भी, फिक्र भी

हर दिन नया रंग, नई ड्रेस – यही है नवरात्रि का मज़ा! लेकिन इस बार, जरा सोचिए – क्या हम अपने पुराने कपड़ों को नया लुक देकर पहन सकते हैं? या हैंडलूम, खादी, जैविक कपड़ों से बने परिधान चुन सकते हैं?

इससे ना केवल आप यूनिक दिखेंगे, बल्कि फास्ट फैशन से होने वाले नुकसान को भी रोक पाएंगे।

2. प्राकृतिक सजावट – सौंदर्य भी, साधना भी

नवरात्रि की सजावट में प्लास्टिक की झालर और कृत्रिम सजावट आम हैं, जो बाद में कूड़े में जाती हैं। इस साल सजावट के लिए फूल, पत्ते, दीये, और मिट्टी से बनी सजावटी वस्तुओं का उपयोग करें।

इससे ना केवल घर सुंदर लगेगा, बल्कि माँ दुर्गा की पूजा भी शुद्ध रूप से होगी।

3. सिंगल यूज़ प्लास्टिक को कहें ना

अगर आप घर पर गरबा नाइट या पूजा का आयोजन कर रहे हैं, तो डिस्पोजेबल कप-प्लेट की जगह बायोडिग्रेडेबल या स्टील के बर्तनों का उपयोग करें।

छोटा बदलाव, बड़ा असर!

4. ऊर्जा की बचत – परंपरा की रोशनी से

दीपक जलाने की परंपरा को अपनाएं—ये ना सिर्फ सुंदर दिखते हैं, बल्कि बिजली की भी बचत करते हैं। अगर बिजली का उपयोग करना ही है, तो एलईडी लाइट्स का प्रयोग करें।

दीये की रोशनी में सजी पूजा, मन को भी शांति देती है।

5. प्रसाद में भी हो सादगी और स्वदेशी स्वाद

बाजार से आने वाली मिठाइयों की बजाय घर में बने लड्डू, हलवा, और मौसमी फल चढ़ाएं। प्लास्टिक में पैक मिठाइयों से परहेज़ करें।

घर की मिठास में जो अपनापन है, वो कहीं और नहीं।

6. साझा सवारी – साथ चले, साथ बचाएं

पंडाल घूमने जा रहे हैं? तो दोस्तों के साथ कारपूल करें या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें।

कम गाड़ियाँ, कम ट्रैफिक, और कम प्रदूषण।

7. दान करें और रिसायकल करें

त्योहार के बाद अगर कुछ चीजें बच गई हैं, तो उन्हें फेंकने के बजाय जरूरतमंदों को दें। पुराने कपड़े, सजावट के सामान, कागज़ आदि रिसायकल करें।

यही तो है असली भक्ति—दूसरों की मदद करना।

त्योहार का मतलब है खुशियाँ, ज़िम्मेदारी के साथ

नवरात्रि का असली अर्थ है—आत्मा की सफाई और शक्ति की साधना। जब हम पर्यावरण का ध्यान रखते हुए पर्व मनाते हैं, तो ये सिर्फ एक उत्सव नहीं रहता, ये बन जाता है संवेदनशीलता की पूजा

तो आइए, इस नवरात्रि 2025 पर हम नाचें, गाएं, सजें-संवरें, लेकिन धरती माँ के साथ। क्योंकि जब हम प्रकृति के साथ चलते हैं, तब हर पर्व बन जाता है पूरे ब्रह्मांड का उत्सव



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